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जवानी जानेमन- वक़्त, उम्र और रिश्तों की अहमियत समझाती है ये फिल्म
सैफ अली खान (saif ali khan) की फिल्म जवानी जानेमन अपने ट्रेलर, गानों और पोस्टर के कारण चर्चा मे है। सैफ का हटके दिलफेक अंदाज़ सबको उत्साहित कर रहा है।

- सिनेमा – जवानी जानेमन
- सिनेमा प्रकार – कॉमेडी ड्रामा
- अदाकार – सैफ अली खान, अलाया फर्नीचरवाला, तब्बू, कुमुद मिश्रा, चंकी पांडे, कुब्रा सैत, फरीदा जलाल
- निर्देशक – नितिन कक्कड़
- अवधि – 1 घंटा 59 मिनट
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प्रस्तावना
सैफ अली खान (saif ali khan) की फिल्म जवानी जानेमन अपने ट्रेलर, गानों और पोस्टर के कारण चर्चा मे है। सैफ का हटके दिलफेक अंदाज़ सबको उत्साहित कर रहा है। लेकिन क्या फिल्म देखकर आपका उत्साह बना रहेगा? आइये जानते हैं।
कहानी
सैफ अली खान के मशहूर गाने ओले ओले से कहानी की शुरुआत होती है। गाना और स्क्रीन पर जो कुछ हो रहा है वो देख फिल्म मे आपकी दिलचस्पी बढ़ जाती है। 40 की उम्र पार कर चुके एनआरआई जस्सी उर्फ़ जैज़ (सैफ अली खान) को अपनी आज़ादी पसंद है। शादी, बीवी और बच्चे के झंझट मे वो पड़ना नहीं चाहता। लेकिन अचानक उसकी ज़िंदगी मे 21 साल की टिया (अलाया फर्नीचरवाला) दस्तक देती है। टिया जस्सी को बताती है वो उसकी बेटी हो सकती है। यह बात जानकर जस्सी को ज़बरदस्त झटका लगता है। टिया के कहने पर वो डीएनए टेस्ट करवाता है। डीएनए की रिपोर्ट मे जो आता है वो जानकर ना सिर्फ़ जस्सी को बल्कि ख़ुद टिया को भी बड़ा झटका लगता है।
माता-पिता और भाई, भाई, बाप-बेटी, पति-पत्नी, बीएफ़-जीएफ़ और दोस्ती के गलियारों से गुज़रते हुए कहानी आगे बढ़ती है। हालांकि जस्सी को सिर्फ़ आज़ादी की गली मे ही घूमना होता है। तो क्या वाकई टिया जस्सी की बेटी होती है? टिया की माँ कौन होती है? क्या ये एक होते हैं ? इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
अदाकारी
सैफ अली खान लगातार एक से बढ़कर एक भूमिका निभाते जा रहे हैं। साफ ज़ाहिर है कि वो हर फिल्म मे कुछ नया करना चाह रहे हैं। 40 के पार मनमौजी, शौकीन किरदार की भूमिका सैफ ने बेहतरीन अंदाज़ मे निभाई है। अलाया फिल्म से डेब्यू ज़रूर कर रही हैं लेकिन उन्हें देखकर ऐसा लगता नहीं। अपनी भूमिका के साथ उन्होने पूरा न्याय किया है। कुमुद मिश्रा, फरीदा जलाल, तब्बू, चंकी पांडे, कुब्रा सैत छोटी छोटी भूमिका मे असरदार लगते हैं।
निर्देशन
नितिन कक्कड़ ने फिल्म का निर्देशन किया है। जो वाकई सराहनीय है। चुनिन्दा अदाकारों के साथ एक जैसे लोकेशन पर कहानी को आगे बढ़ाते रहने एक मुश्किल काम होता है। लेकिन नितिन ने इसे अच्छे से अंजाम दिया है।
संगीत
ओले-ओले और गल कर दी रीमिक्स हैं जो लुभाते हैं। बाकी गीत भी कहानी के अनुसार हैं। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है।
खास बातें
- कहानी ज़रा हटके है।
- एक अच्छा और ज़रूरी संदेश देती है।
- मल्टीफ़्लेक्स दर्शकों को भएगी।
- सैफ और अलाया की केमिस्ट्री शानदार लगती है।
- आखिर तक बांधे रखती है।
कमज़ोर कड़ियां
- शायद सिंगल स्क्रीन दर्शक प्रभावित न हों।
- कई चीज़ें रिपिटेशन लगती हैं।
- मुख्य किरदार को छोड़ बाकीयों की भूमिका बहुत छोटी है।
देखें या ना देखें
यह फिल्म आपका मनोरंजन करती है और आपको रिश्तों का मतलब और अहमियत समझाती है। आप इसे ज़रूर देखें।
रेटिंग – 3.5/ 5
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