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मां के सुनाए इस शेर ने जगदीप को कभी हारने नहीं दिया, सूरमा भोपाली ने खुद सुनाया था दिलचस्प किस्सा
जगदीप (Jagdeep) यानी सूरमा भोपाली ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, 'मैंने अपने जिंदगी से बहुत कुछ सीखा है। मेरी मां ने मुझे समझाया था।

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर और कॉमेडियन जगदीप (Jagdeep) अब हमारे बीच में नही हैं। बीती रात को 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले जगदीप ने लगभग 400 फिल्मों में काम किया है। सिल्वर स्क्रीन पर कॉमेडी की मिसाल पेश करने इस अभिनेता को लोग सूरमा भोपाली के नाम से जानते थे। अपने करियर की शुरूवात में उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया। लेकिन कभी हार नहीं माने बस चलते गए। बता दें, इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि उनकी मां का एक शेर है।
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जगदीप (Jagdeep) यानी सूरमा भोपाली ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘मैंने अपने जिंदगी से बहुत कुछ सीखा है। मेरी मां ने मुझे समझाया था। एक बार बॉम्बे में बहुत तेज तूफान आया था। सब खंभे गिर गए थे। हमें अंधेरी से जाना था। उस तूफान में हम चले जा रहे थे। एक टीन का पतरा आकर गिरा, जिससे मेरी मां के पैर में चोट लगी। बहुत खून निकल रहा था, जिसे देख मैं रोने लगा। तो मेरी मां तुरंत अपनी साड़ी फाड़ी और उसे बांध दिया। तुफान के बीच मैंने मां से कहा कि यहीं रुक जाते हैं, ऐसे में कहां जाएंगे।’

“तभी मेरी मां ने एक शेर पढ़ा.. ‘वो मंजिल क्या जो आसानी से तय हो वो राह ही क्या जो थककर बैठ जाए।’ पूरी जिंदगी मुझे ये ही शेर समझ में आता रहा कि वो राह ही क्या जो थककर बैठ जाए। इसलिए मैं अपने एक-एक कदम को एक मंजिल समझ कर आगे बढ़ता रहा। छलांग नहीं लगानी चाहिए, गिर जाओगे।’

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बता दें, जगदीप (Jagdeep) ने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर साल 1951 में फिल्म ‘अफसाना’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा और एक कॉमेडियन के तौर पर उन्होंने ‘दो बीघा जमीन’ से डेब्यू किया था। सूरमा भोपाली के नाम से मशहूर होने के बाद उन्होंने इसी नाम से खुद फिल्म भी बनाई थी।
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